उत्तर प्रदेश का सहारनपुर। अवैध निर्माण से लेकर सूचनाओं के आदान-प्रदान में खेल खेलने वाला विकास प्राधिकरण एक बार फिर चर्चा में है। चर्चा की वजह है लोकायुक्त की नाराजगी।
दरअसल, अवैध निर्माण को लेकर लोकायुक्त को सफाई देने में सहारनपुर विकास प्राधिकरण के सहायक और अवर अभियंताओं के माथे पर पसीना है। विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने सियासी संरक्षण, दलालों की डील और विभागीय सहयोग को आधार बनाकर शहर में अनियमित और मानकों के विपरीत निर्माण करवा डाले।
पिछले दिनों सहारनपुर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में ताबड़तोड़ ढंग से आवासीय तथा व्यावसायिक निर्माणों के सैकड़ों मामलों की शिकायत आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेंद्र कुमार ने लोकायुक्त से की थी। शिकायत को लोकायुक्त ने गंभीरता से लेते हुए परिवाद की जांच सहारनपुर के मंडल आयुक्त को सौंप दी। इतना ही नहीं लोकायुक्त ने निर्देश दिया कि परिवाद सहारनपुर विकास प्राधिकरण से संबंध है इसलिए परिवार की जांच समिति में सहारनपुर विकास प्राधिकरण के किसी भी कर्मचारी अथवा अधिकारी को सम्मिलित न किया जाए
लोकायुक्त जांच के निर्देश मिलने के बाद से तत्कालीन मंडलायुक्त सहारनपुर ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ पाया। इससे नाराज परिवादी वीरेंद्र कुमार ने निष्पक्ष जांच ना होने की शिकायत मंडलायुक्त से की जिस पर तत्कालीन मंडलायुक्त ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन मुजफ्फरनगर की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन कर दिया।
यहां महत्वपूर्ण बात यह भी है कि दो दो समितियां जांच के लिए गठित कर दी गई बावजूद इसके परिवाद की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। यही कारण है कि शिकायतकर्ता वीरेंद्र कुमार ने पूरे मामले का विवरण लोकायुक्त को लिखित में भेजा जिसका संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त ने 28 सितंबर 2021 को विकास प्राधिकरण से जांच रिपोर्ट तलब की है। लोकायुक्त के इस कदम से प्राधिकरण में अफरा तफरी और अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक बेचैनी देखी जा रही है। पूरा मामला अब चर्चा का विषय बन गया है।
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