दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोरोनावायरस का नामकरण हो गया है. वायरस प्राकृतिक है या लैब में बनाया गया है अभी इस विवाद का हल निकला नहीं, इसी बीच डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वेरिएंट्स का नामकरण कर दिया है. इसके पीछे विश्व स्वास्थ्य संगठन का तर्क है कि मुख्य वैरीअंट को आसानी से याद रखने के लिए ऐसा किया गया है. डब्ल्यूएचओ ने ग्रीक भाषा के अल्फाबेट्स का इस्तेमाल कोरोना वेरिएंट्स के नामकरण के लिए किया है. जहां भारत में दूसरी लहर के जरिए तबाही मचाने वाले कोरोनावायरस के वेरिएंट B.1.617.2 को डेल्टा नाम दिया गया है वहीं भारत में ही मिले वॉयरस के दूसरे स्ट्रेन (B.1.617.1) का नाम कप्पा रखा गया है.
दूसरे वैरिएंटस के नाम भी जान लीजिए
डब्ल्यूएचओ ने केवल भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में मिले वेरिएंट्स का नामकरण भी किया है. डब्ल्यूएचओ ने ब्रिटेन में वेरिएंट का नाम अल्फा रखा है जबकि साउथ अफ्रीका में मिले वेरिएंट का नाम बीटा रखा गया है. अमेरिका में मिले वैरिंट का नाम एप्सिलोन रखा है तो ब्राजील में मील स्ट्रेन का नाम गामा रखा गया है. फिलीपींस में मिले स्ट्रेन को थीटा कहा गया है.
भारत का था एतराज
डब्ल्यूएचओ के नामकरण पर कोरोना के B.1.607. 2 स्ट्रेन को भारतीय वैरिंट का नाम दिए जाने पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी जिस पर डब्ल्यूएचओ ने साफ किया कि वायरस के किसी भी स्ट्रेन या वैरीअंट को दुनिया के किसी भी देश के नाम से नहीं जोड़ा जाएगा. जान लेना जरूरी है कि भारत में कोरोनावायरस का B.1.617.2 कोरोना स्ट्रेन का सबसे खतरनाक वेरिएंट में से एक है. यह दुनिया के 53 देशों में संक्रमण का जिम्मेदार हैं.
दूसरी लहर ने मचाई थी जमकर तो तबाही
गौरतलब है कि डेल्टा कोरोनावायरस ने भारत में दूसरी लहर के दौरान जमकर तबाही मचाई. केवल मई के महीने में 90 लाख से ऊपर के लोग संक्रमित हुए वही डेढ़ लाख के करीब लोग काल का ग्रास बन गए.
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