पूरी दुनिया कोरोना वायरस के दवाई को लेकर कोशिशों में लगी हुई है अभी तक महामारी की इस तकलीफ से बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आया इसी बीच भारत में ऐतिहासिक मिशन शुरू किया है भारत में स्वास्थ्य संस्थाएं संस्था आयुष स्वास्थ्य एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत सीएसआईआर को मिलाकर आईसीएमआर के टेक्निकल सपोर्ट से आयुर्वेद की कुछ दवाइयों पर कल बृहस्पतिवार से क्लीनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है
इसका उद्देश्य लोगों को सुरक्षित करना है आयुर्वेद के महान औषधियों को जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि यह कोविड-19 को होने या संक्रमण को रोकने में कैसे उपयोगी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा की भारत एक नई पहल करने जा रहा है उन्होंने तीन आयुर्वेदिक औषधियों का जिक्र किया और उनके नाम भी बताए. तीनों औषधि अश्वगंधा मुलेठी गिलोय और यष्टिमधु आसानी से मिल जाती हैं.
इन औषधियों के क्या लाभ हैं और यह कैसे काम करती हैं यह जान लीजिए
अश्वगंधा
अथर्ववेद में भी अश्वगंधा की चर्चा है. आयुर्वेद में इस औषधी का अपना महत्व है. इसे सदियों से विभिन्न तरह की बीमारियों में प्रयोग में लाया जा रहा है. अश्वगंधा का नाम अश्व यानि घोड़े और गंध से जोड़ कर बनाया गया है.
इसके जुड़े कुछ तथ्य
वानस्पतिक नाम: विथानिया सोमनिफेरा
वंश: सोलेनेसी
संस्कृत नाम: अश्वगंधा, वराहकर्णी और कमरूपिणी
सामान्य नाम: विंटर चेरी, भारतीय जिनसेंग, असगंध
इसके जड़ और पत्तियों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में किया जाता है लेकिन इसके फूल और बीज भी काफी उपयोगी हैं.
इन बीमारियों से लड़ने में फायदेमंद है अश्वगंधा
- बैक्टीरिया के संक्रमण में लाभ
- घाव भरने में उपयोगी प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने में
- मधुमेह में दवा के रूप में लाभदायक
- इसमें कामोद्दीपक गुण
- यह थायराइड को समाप्त करता है
- अपच में लाभदायक
- मांसपेशियों में शक्तिवर्धक ताकत बनाता है और सुधार भी करता है
- मोतियाबिंद से लड़ने में उपयोगी
- त्वचा की समस्या को दूर करता है
- बालों के लिए फायदेमंद
- हृदय को स्वस्थ रखता है
- कैंसर के लिए उपयोगी
- अवसाद में असरदायक और इसमें तनाव विरोधी गुण पाए जाते हैं
यष्टिमधु (मुलेठी)
मुलेठी को भी सदियों से औषधी के रूप में उपयोग किया जा रहा है. इसका संस्कृत नाम यष्टिमधु है. यह दस में 2 भारतीय के घर में उपयोग में लाया जाने वाला औषधी है. किसी का गला खराब हो या पेट संबंधी कोई प्रॉब्लम तो इसे लोग प्रयोग में लाते है.
वानस्पतिक नाम- ग्लयसयररहीज़ा ग्लबरा प्रपात
अंग्रेजी नाम: नद्यपान/नद्यपान
हिंदी नाम- मुलेठी, जेठीमधु
यह निम्नलिखित बीमारियों से लड़ने में उपयोगी है
- बदहजमी
- पेट में सूजन
- सीने में जलन
- पाचन संबंधी रोगों में फायदेमंद
गुडूची पिप्पली (गिलोय)
इसका भी आयुर्वेद में काफी महत्व है. इसे गडुची, गिलोय, अमृता समेत अन्य नामों से जाना जाता है. गिलोय के फायदे बहुत तरह के बीमारियों में होते आये है. हालांकि, इसे सही मात्रा में न लिया जाये तो हानिकारक भी हो सकता है.
गिलोय के फायदे
- बुखार उतारने में इसका उपयोग किया जाता है
- एसिडिटी की परेशानी को ठीक करता है
- कफ की बीमारी दूर भगाता है
- डायबिटीज की बीमारी में फायदेमंद
- स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय
- कैंसर में फायदेमंद
- आंखों संबंधी रोग में फायदेमंद
- इससे कब्ज का इलाज
- इसके सेवन से उल्टी नहीं होती
- टीबी रोग में फायदेमंद
- हिचकी को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल
- कान की बीमारी में फायदेमंद
- बवासीर के उपचार में लाभदायक
- पीलिया रोग में लाभदायक
- लीवर विकार को ठीक करता है
- मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ होता है
- गठिया में फायदेमंद
- फाइलेरिया में फायदा पहुंचाता है
- कुष्ठ रोग का इलाज संभव है इससे
Good progress